Wednesday 19 March 2014

जले दीपक - ऋता

141

सिखों की जीत

रोशनी से नहाया

स्वर्ण मंदिर

140

गृह की लक्ष्मी

जो दें उन्हें सम्मान

वे धनवान

139

मन का तम

असंख्य दीपक भी

हर न पाते

138

संध्या का दीया

अविराम जलता

उषा को पाता

137

जलता दीया

अंधेरे से जूझता

नहीं हारता

136

प्रकाशोत्सव

नई फ़सल का भी

है ये उत्सव

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