Tuesday 9 June 2015

काक उच्चारे


379

काक उच्चारे


आएँगे पी तुम्हारे

द्वार सजा लो


378

आदर्श शिष्य


करे काक सी चेष्टा

विद्या का धनी।


377

दिल कोमल


नीड़ में दुलारता

पर संतति।


376

पुत्र पितर


भावों का लेन देन

वाहक काक।


375

आत्मीय मृत्यु


करे पोरसिसिया

कौआ समाज|


374

बैठा था भूखा


लुचक लिया रोटी

ठगे से हम|


373

शुभ अशुभ


दोनों एक ही पाखी

बड़ा सयाना|

Wednesday 18 March 2015

कचनार

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372
आया बसंत
खिलता कचनार
हुआ गुलाबी|
371
हवा की गोद
कचनार की कली
करे प्रमोद|
370
सिरों पर बँटे
केन्द्र में मिले रहें
ये कचनार|
369
श्वेत घाघरा
लाल छींट की धारी
है कचनारी|
368
श्वेत चदनी
सफ़ेद कचनार
नयनसुख|
367
मस्त पवन
कचनार की खुश्बू
ले गया दूर|
366
शांत सौम्य सा
राहों में कचनार
जोहता बाट|
365
आँखों में बसी
कचनारी सूरत
पावन लगी|
364
यादों में बसा
सलोना कचनार
साथ में तुम|
363
हवा हिंडोला
जा बैठा कचनार
हौले से डोला|
*ऋता शेखर 'मधु'*

Sunday 1 March 2015

फागुनी ताल

362
फागुनी ताल
रस रंग बिखरे
मन बासंती|
361
मन का जोगी
बना रूप का लोभी
गा उठा फाग|
360
खिले पलाश
जोगन वन घूमे
बासंती आस|
359
प्रीत में बसी
रंगों की छिटकन
मन भ्रमर|
358
मोहक खुश्बू
चुरा कर ले गई
बासंती हवा|
357
भीनी सुगंध
टपका बौर रस
मन बावरा|
356
बोले है कागा
कुहकी कोयलिया
पाहुन आए|

*ऋता शेखर 'मधु'*