161
बने मिसाल
मित्रता और प्रेम
कृष्ण-सुदामा
160
आगे बढ़ के
थाम लेते जो हमें
वही हैं मित्र
159
न गिला कोई
शिकायत भी नहीं
दोस्त हैं वही
158
ढेर -सी बातें
जो कह नहीं पाते
मित्र ही बाँटें
157
ख़ाका खीचते
मन के पन्नों पर
बिछड़े मित्र
156
सुख-दुःख में
जो साथ रहे सदा
वही तो दोस्त ।
155
मन की बातें
बिन बोले समझे
वही तो दोस्त ।
154
खून का नहीं
मन का रिश्ता होता
दोस्त के संग ।
153
कभी न पूछे
हम सच्चे या झूठे
साथ निभाए ।
152
एक की पीड़ा
आँसू दूजे की आँख
यही तो दोस्ती ।
151
दोस्ती का अर्थ
अब भी न समझे
इत्ता गहरा ।
150
हरेक खुशी
दुगुनी बन जाती
दोस्तों के संग ।
149
होंठो की हँसी
देख के भी समझे
मन की पीड़ा ।
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