Wednesday 19 March 2014

मित्र के साथ - ऋता

161

बने मिसाल

मित्रता और प्रेम

कृष्ण-सुदामा

160

आगे बढ़ के

थाम लेते जो हमें

वही हैं मित्र

159

न गिला कोई

शिकायत भी नहीं

दोस्त हैं वही

158

ढेर -सी बातें

जो कह नहीं पाते

मित्र ही बाँटें

157

ख़ाका खीचते

मन के पन्नों पर

बिछड़े मित्र

156

 सुख-दुःख में

   जो साथ रहे सदा

   वही तो दोस्त ।

155

 मन की बातें

   बिन बोले समझे

   वही तो दोस्त ।

154

 खून का नहीं

   मन का रिश्ता होता

   दोस्त के संग ।

153

 कभी न पूछे

   हम सच्चे या झूठे

   साथ निभाए ।

152

 एक की पीड़ा

   आँसू दूजे की आँख

   यही तो दोस्ती ।

151

 दोस्ती का अर्थ

   अब भी न समझे

   इत्ता गहरा ।

150

 हरेक खुशी

   दुगुनी बन जाती

   दोस्तों के संग ।

149

 होंठो की हँसी

   देख के भी समझे

   मन की पीड़ा ।

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