Tuesday 18 March 2014

हौसलों की उड़ान

17

चलता गया

नदी पर्वत खाई

लाँघता गया।

16

श्रम की सीढ़ी

हौसलों की उड़ान

नभ उन्मुख।

15

हारना नहीं

बाधाओं को हराना

हिम्मत यही।

14

ख़्वाब की नदी


कश्ती श्रम की चली

मिले किनारे।

13

दुख जो बढ़े

विकल मन मेरा

प्रभु को कहे।

12

छोटी चिड़िया

चहकती घर घर

बिन भेद के।

11

लाल है लहू

सबकी ही रगों में

फिर भेद क्यों?

10

अश्रु की बाढ़

पलकें बनी बाँध

दर्द  गंगोत्री।

9

जान न पाए

घड़ियाल के आँसू

आँसू के रंग ।

8

अश्रु से धुला

हृदय का अम्बुज

पावन बना।

7

कैसे मिलेंगे

धरा और गगन

मौन क्षितिज।

6

बेबात बात

अफ़वाहों का जन्म

गूँजीं दिशाएँ।




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