Tuesday, 18 March 2014

फागुन आया - ऋता

106

फागुन आया

ब्रज में मची धूम

राधिका डरी ।

105

कुंज गली में 

ब्रज की बाला छुपी

बच ना सकी ।

104

ले पिचकारी

रँग गए राधा को

नंद के लाला ।

103

प्रीत का रंग

चढ़ा जो एक बार

छूटा न संग ।

102

सदा ही रहे

मर्यादा के रंग भी

ये पर्व सजे ।

101

खूब मचा है

होली का हुड़दंग

गली-गली में ।

100

उड़े गुलाल

रंगीनियाँ बिखरीं

हर घर में ।

99

एक तार में

सबको ही गूँथता

होली का पर्व ।

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