106
फागुन आया
ब्रज में मची धूम
राधिका डरी ।
105
कुंज गली में
ब्रज की बाला छुपी
बच ना सकी ।
104
ले पिचकारी
रँग गए राधा को
नंद के लाला ।
103
प्रीत का रंग
चढ़ा जो एक बार
छूटा न संग ।
102
सदा ही रहे
मर्यादा के रंग भी
ये पर्व सजे ।
101
खूब मचा है
होली का हुड़दंग
गली-गली में ।
100
उड़े गुलाल
रंगीनियाँ बिखरीं
हर घर में ।
99
एक तार में
सबको ही गूँथता
होली का पर्व ।
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