Tuesday, 18 March 2014

नैनों की भाषा - ऋता

67

नैनों की भाषा

बिल्कुल ही निःशब्द

हो अभिव्यक्त।

66

पलकें झुकीं

रंगीन- सी दुनिया

ख्वाबों की सजी ।

65

बन्द पलक

ख्वाब उड़ते रहे

भोर तलक।

64

पलकें झुकी

झुक गया  फ़लक

तुम्हारे लिए ।

63

राह तकें ये

व्याकुल से नयन

भीगा है मन।

62

मन की पीड़ा

पलक जो खुली तो

बहके चली ।

61

अस्त हो गया

चन्द्रमा के साथ ही

नयन -दीप।

60

शुभ संदेश

दम-दम दमके

नयन -मोती।

59

नीले नयन

झील–से हैं गहरे

लाखों पहरे।

58

चाँद को देखे

निर्निमेष ये नैन

छिना है चैन

57

खोए नयन

शायद इन्तज़ार

किसी प्रिय का।

56

सूनी ज़िन्दगी

सूने नयन कहें

यही कहानी ।

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