Wednesday, 19 March 2014

छिटकी चाँदनी - ऋता

214
शुभ्र धवल
शरद्- पूर्णिमा का ये
निकला चाँद ।
213
दूध-चाँदनी
श्वेत कमल पर
थिरक उठी ।
212
चन्दा को देखे
निर्निमेष चकोर
हो गई भोर।
211
शरद-पूनो
रुपहली किरणें
झिलमिलाईं ।
210
पूनो की रात
मधुरिम सी आस
बनी है खास ।
209
चाँद ने छेड़ी
मधुमय रागिनी
हँसी चाँदनी ।
208
चाँद को देख
सागर भी मचला
मिलने चला।
207
चाँदनी फैली
लहरें बनी वीणा 
संगीत फूटा  ।
206
चाँदनी रात
ले के हाथों में हाथ
करें क्या बात ।
205
शरद पूर्णिमा
सोलह कला-युक्त
खिला है चन्द्र ।
204
अमृत -वर्षा
चाँदनी की किरणें
धरा पर करें।
203
मनभावन
शरद की पूनम
कृष्ण का रास ।
202
नभ से बही
सागर में समाई
शुभ्र चाँदनी ।
201
निकला चाँद
उजला उत्तरीय
नभ में फैला ।
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