Tuesday, 18 March 2014

दूब पे ओस - ऋता

52
पानी की झड़ी
ताप से घबराया
पेड़ नहाया ।
51
झूमी डालियाँ
धुल गईं पत्तियाँ
निखरी कली।
50
मधुमालती
झूम के लहराई
सावन बनी।
49
नन्ही गौरैया
पत्ते बने छतरी
दुबकी रही।
48
पीत बैजंती
कन्हैया को रिझाए
रंग जमाए।
47
हरिया गईं
थकी माँदी पत्तियाँ
बजाएँ ताली।
46
दूब पे ओस
तलवों की ठंडक

नैनों की ज्योति।
45
बिछती गई
दूब की हरियाली
बगिया हँसी।
44
धैर्य की देवी
पाँव के नीचे दूब
दबती रही।
43
नर्म हरित
गणपति को भाती
दूब कोमल।
42
दूर तलक
दूब बनी चुनर
धरती सजी।

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