41
दीये ये कच्चे
धुन के बड़े पक्के
बच्चों -से सच्चे |
40
नेह का दीप
घृत हो विश्वास का
अखंड जला|
39
चाक जो घूमा
सर्जक का सृजन
सुगढ़ दीप |
38
मिलके रहे
दीप तेल वर्तिका
तभी लौ बने |
37
चंदा को ढूँढ़े
दीपक की बारात
अमा की रात |
36
गौरवशाली
दीवाली में भारत
सौरभशाली |
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