Saturday 17 December 2016

हाइकु में ध्वनि

543.
टूटा गुल्लक
खनखनाते सिक्के
रामू की खुशी
542.
ट्रक से गिरीं
गिट्टियाँ तोड़ रहीं
रात्रि का मौन
541.
खिलते फूल
गुनगुनाते अलि
आया बसंत
540.
श्रावण माह
नाचे मन का मोर
हवा में शोर
539.
बन्द कमरे
मुसलाधार वर्षा
शोर ले आई|
538.
ढोलक बजी
नजरों में समाए
अनाथ बच्चे
537.
कहते व्यथा
पतझर के पत्ते
बहरे लोग
536.
वर्षा ऋतु में
चीख रहे झींगुर
आदमी मौन
535.
भरे पोखर
टर्र टर्र करते
मोटे मेढक
534.
ढनमनाते
रसोई के बर्तन
चुल्हा जला है
533.
घर अँगना
खनखन कँगना
नवदुल्हन
--ऋता शेखर 'मधु'

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