Wednesday, 19 March 2014

धरा का चाँद - ऋता

200
सदा दमके
सिन्दूर सुहाग का
चन्द्र-दीप सा 
199
रहे सदा ही
जीवन सुवासित
पारिजात-सा ।
198
सिन्दूरी आभा
सोहे मुख-मण्डल
नव- दुल्हन 
197
घर-आँगन
स्नेह-प्यार के दीप
जगमगाएँ 
-0-

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