231
सबसे प्यारा
लगे इस जहाँ में
भाई हमारा ।
230
स्नेह दर्शाता
रेशम राखी-धागा
रक्षा का वादा।
229
श्रावणी झड़ी
बहना ले के खड़ी
राखी की लड़ी।
228
रेशम-धागे
स्नेह-बंधन बने
टूट न पाए ।
227
राखी की लाज
सदा तुम निभाना
वादा दो आज ।
226
शुभ-आशीष
सदा तुम्हारे लिए
ओ, भाई मेरे ।
225
रक्षाबंधन
‘पर्व दिव्य-प्रेम का’
बताने आता।
224
सजी थालियाँ
कुंकुम, राखी संग
मिष्टान्न सजे ।
223
भइया आया
श्रावणी पूर्णिमा को
उल्लास छाया ।
222
‘भाई हों सुखी‘
आशीर्वादों की झोली
बहनें भरें ।
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Bahut badhiya di.. :) Log likhna bhi seekh jayenge.
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