Saturday 21 January 2017

विरह-मिलन

587
अद्भुत प्रेम
पुष्प और सुगंध
माली के हाथ
586
नभ में घन
नैनों संग काजल
प्रेम मिलन
585
विरही मन
कोयल की कूक में
दिल की हूक
584
पुष्पवाटिका
मिलन का माधुर्य
राम जानकी
583
कान्हा की बंशी
राधिका की पैंजनी
शाश्वत प्रेम
582
कृष्ण दीवानी
मीरा बन भटकी
प्रीत रुहानी
581
अग्नि के फेरे
देते सात वचन
दूल्हा दुल्हन
580
वैलेंटाइन
प्रेम का इजहार
बे रोक टोक
579
सच्चा हो प्यार
बिन बोले समझे
मन की बात
578
प्रेम किताब
पन्नों के बीच दबे
सूखे गुलाब
577
चरमोत्कर्ष
मिलन या विरह
बासंती हवा
-ऋता शेखर 'मधु'