412.
मन मन्दिरअंतस का उजाला
प्रार्थना दीप|
411.
हवा की दया
खुशबू बन बिखरी
पुष्प है मौन|
410.
नभ की छाँव
नर्म दूब बिछौना
दीनों का सुख|
409.
दीये की लौ
आशाओं का निशीथ
विलीन तम|
408.
ग्रीष्म की तृषा
हँसकर झेलता
गुलमोहर|
407.
प्रश्नों के घेरे
शून्य में उपजते
पाते सृजन|
406.
नींद का गाँव
स्वप्न बिछौना ठाँव
पसरी यादें|
405.
मौन अधर
कलम का संवाद
अमिट छाप|
403.
कँटीली राह
अपमान वेदना
स्वत्व का ज्ञान|
402.
धूप सघन
मातृ-स्पर्श आनंद
फुहार सम|
401.
धरा का गर्भ
बीज नर या मादा
भाव समान|
400.
विदा करे माँ
आँचल में बाँध दी
सीख पोटली|
399.
पारदर्शिता
संवाद की मिठास
सुलझे रिश्ते|
398.
टिके अतिथि
हिली घर की नींव
ध्वस्त बजट|
397.
श्रीलोलुपता
राक्षसी प्रवृत्तियाँ
दहेज मृत्यु|
396.
व्याकुल व्योम
माह भर प्रतीक्षा
पूनम हुई|
395.
चिहुँका मौन
आकुल स्तब्ध सत्य
चिल्लाता झूठ|
394..
पसारे पाँव
जीवन धूप-छाँव
जग रहस्य|
393.
म्लान में उगे
प्रभु चरण चढ़े
गुणी कमल|
392..
मन पखेरु
पहरे बेअसर
निर्भय उड़े|
391..
रिश्तों में छल
हृदय-चंद्र डसे
ग्रहण लगे|
390.
आधुनिकता
बेख़ौफ़ अमर्यादा
सहमे वृद्ध|
389.
कर्म की पूजा
परिश्रम आहुति
फल रसीले|
388.
ओक में श्रम
एक चिथड़ा सुख
नारी के नाम|
387..
पग बेदर्द
कहती पगडंडी
दूब का दर्द|
386.
जड़ बिछोह
बन गया अधीरसैलाबी नीर|
385.
दुर्वा की नोक
ज्यूँ काँधा हो पिता का
झूला तुहिन|
384.
सागर ध्यानी
मौजों को दे रवानी
पूर्ण चन्द्रिका|
383.
सिंधु की शांति
सुनामी का संकेत
चौकस मन|
382.
नभ से उँची
सागर से गहरी
कवि कल्पना|
381.
नाप ले नभ
हौसलों की उड़ान
मन की शाक्ति|
380.
प्रसव पीड़ा
मातृत्व का गहना
नारी श्रृंगार|
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