खिली कलियाँ|
355
चहका पंछी
जगा अरुणाचल
खिली कलियाँ|
354
भोर किरण
नव वर्ष में लाई
आस- हिरन ।
353
नवीन सत्र
ऋतुराज ले आए
नवल पत्र
352
घर पुकारे
नए साल में आना
राज दुलारे ।
351
ख्वाबों के पाखी
नव तृण चुन लो
काव्य गढ़ लो ।
350
नूतन वर्ष
कानों में कह गया
लाया हूँ हर्ष ।
No comments:
Post a Comment