Thursday 4 December 2014

हाइकुदिवस विशेष -'' हाइकु'' पर हाइकु

349
निखर गई
हाइकु की सुरभि
बिखर गई|
348
सत्रह वर्ण
हृदय की परतें
खोलता गया|
347
नभ में चाँद
कविता में हाइकु
मनमोहक|
346
छोटी सी काया
बाते हैं बड़ी बड़ी
हाइकु यही|
345
भिड़े जुगत
सत्रह की संगत
लाती रंगत|
344
सीमित वर्ण
चमत्कारी हाइकु
व्याख्या है बड़ी|
343
हाइकुकार
शब्दों का जादूगर
रचते सार|
342
बने नौलखा
जड़ें सत्रह रत्न
हाइकुकार|
341
सिंधु मंथन
हाइकु में कथन
स्वाति की बूँद|
340
निर्बाध बहे
अल्प शब्दों में कहे
वृहद ग्रंथ|
339
सत्रहवर्णी
हाइकु निर्झरणी
हीरक कनी|
338
हाइकु कूँची
अभिव्यक्ति अम्बर
चित्र सुन्दर|

*ऋता शेखर ''मधु*

1 comment:

  1. वाह ! क्या बात है ! बहुत ही सुन्दर !

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