Saturday 24 December 2016

ओ पंछी परदेसी

554
युगल मैना
प्रतीक मिलन का
हर्ष संकेत
553
शांति का दूत
धैर्यवान कपोत
मनु का संगी
552
कीवी परिंदा
उड़ान से रहित
नारी जीवन
551
कठफोड़वा
कुरीति को छेदता
तर्कपुरुष
550
हमिंग बर्ड
दोतरफा उड़ान
नापे जहान
549
चंचल नेत्र
निलछौंहा खंजन
तराई क्षेत्र
548
शहरी लोग
आँगन में गौरैया
ढूँढती पानी
547
प्रेम के छंद
डाकिया कबूतर
भरोसेमंद
546
घर का सुग्गा
मिले न मिर्च चने
दिखाता गुस्सा
545
शुतुरमुर्ग
लम्बी डग से दौड़े
पंख समेटे
544
लौट के आना
ओ पंछी परदेसी
राह तकूँ मैं
-ऋता शेखर ‘मधु’

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