Saturday, 17 May 2014

मुखर नारी...

271


रुक ना पाएँ
पग हो जो अडi
खोज लें राहें|


270

हराते चलो
राह बनाते चलो
हँसे जिन्दगी|


269


है षटकोण
वास्तु के हर कोण
भाव विविध !

268

चारदीवारी
कलम की आहट
मुखर नारी |

267

आहत अहं
नारी का उपहास
महाभारत|

266

नैनो का नूर
शहनाई की गूँज
नैनों से दूर|

265

वेद ऋचाएँ
आधुनिकीकरण
पॉप संगीत|

264

पोपलापन
खोया अपनापन
वृद्ध आश्रम|

263

रिश्तों में प्यार
ठंडी हवा का झोंका
हरसिंगार |

262

चुन लो काँटे
रिश्तों पर विश्वास
दुखों को बाँटे |

261

रिश्तों में दूरी
मुँह से बोलें राम
दाब के छूरी|
..ऋता

Monday, 5 May 2014

आती है निशा

260
नभ में तारे
बच्चों की किलकारी
सजाती निशा|

259
घोर अँधेरा
डरा हुआ है चाँद 
अमा की रात|

258
निशा की खाट
सपनो की चादर
चैन की नींद|

257
निशा की गोद
थका निढाल तन
करे विश्राम|

256
नीरव रात
लिखे चैन से निशा
दिल की बात|

255
तम पिंजर
बंदिनी बनी उषा
छुड़ाए सूर्य

254
बंदिनी उषा
तम-पिंजर तोड़ें
सूर्य रश्मियाँ|