532
सृष्टि चूनर
ईश्वर रंगरेज
छिटके रंग|
531
पावस धोबी
धो रहा फूल शूल
भेद न भाव|
530
संस्कार सोना
हया की मीनाकारी
बेटी, न खोना|
529
प्रेम के धागे
भावों की बुनकरी
वस्त्र रिश्तों के|
528
प्रात की बेला
पिरो रही मालिन
शुभ सुगंध|
527
कुशल मिस्त्री
तृण तृण सजाई
बया ने नीड़|
526
हवा धुनिया
रेशे रेशे में उड़ी
मेघों की रूई|
525
विज्ञानी सोच
लोहार की जाँबाजी
वायु में यान|
524
महँगे जूते
सस्ती सी मरम्मत
रास्ते का मोची|
523
मन में दर्जी
शब्द काटना सीना
कवि की मर्जी
522
जग सागर
मछुआरे की खुशी
जाल की मीन
-----
ऋता शेखर 'मधु'