Wednesday 27 April 2016

घट खाली है

423
सोंधी  खुशबू
शीतलता का मजा
माटी- घट में ।
422
माटी का घट
शीतल अहसास
है आस पास ।
421
सूखी दरारें
घट भी जलहीन
पाखी उदास ।
420
कोने में पड़े
सूखे का हाहाकार
असंख्य घड़े ।
419
घट पे कौआ
चोंच में है कंकड़
पेंदी है खाली।
418.
खो गया नीर
पनघट है रीता
राधा की पीर ।
417.
घट की तृष्णा
बूँद- बूँद में भरे
अपनापन ।
416
मिट्टी का लोंदा
तन्मय है सर्जक
घट साकार ।
415
तपती रेत
चली पनिहारिन
लेकर घड़ा ।

414
शूष्क बीज है
अँकुर नहीं फूटे
सूखा पड़ा है
413
सूखी धरती
बैल खींच न पाए
हल है भारी
-ऋता शेखर मधु'

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