355
चहका पंछी
जगा अरुणाचल
खिली कलियाँ|
354
भोर किरण
नव वर्ष में लाई
आस- हिरन ।
353
नवीन सत्र
ऋतुराज ले आए
नवल पत्र
352
घर पुकारे
नए साल में आना
राज दुलारे ।
351
ख्वाबों के पाखी
नव तृण चुन लो
काव्य गढ़ लो ।
350
नूतन वर्ष
कानों में कह गया
लाया हूँ हर्ष ।
1.
प्रातः वंदन
वीणा संग गणेश
मंगलकारी
2.
अक्षरमाला
छन्दों की रचयिता
माँ बागेश्वरी
3.
श्रीपार्वती जी
श्री शिवशंकर जी
ब्रह्मवंदन
4.
ईश्वरकृपा
दिखते परमात्मा
अंतःकरण
5.
शंकरकृपा
सर्वत्र वंदनीय
वक्र चन्द्रमा
6.
श्रीसीताराम
गुणसमूहरूपी
पावन वन
7.
श्रीवाल्मीकि जी
कपीश्वर हनुमान
नित्य विहार|
8.
क्लेशहारिणी
कल्याण प्रतिमूर्ति
श्रीरामप्रिया|
9.
गज की माया
दृष्य जगत का सत्य
भवसागर|
10.
एक ही नौका
श्रीरामरूपी हरि
तारनहार|
11.
श्रीरामकथा
मनहर लेखन
तुलसी दास|
12.
सम्पूर्ण विश्व
श्रीराम वशीभूत
ब्रम्हादि देव|
13.
सुखानुभूति
अत्यंत मनोहर
श्रीरामकथा|
14.
करें स्मरण
सम्पूर्ण कार्य सिद्धि
गणेशकृपा|
15.
शिवजी डोले
पंगु चढ़े पहाड़
गूँगे भी बोले|
349
निखर गई
हाइकु की सुरभि
बिखर गई|
348
सत्रह वर्ण
हृदय की परतें
खोलता गया|
347
नभ में चाँद
कविता में हाइकु
मनमोहक|
346
छोटी सी काया
बाते हैं बड़ी बड़ी
हाइकु यही|
345
भिड़े जुगत
सत्रह की संगत
लाती रंगत|
344
सीमित वर्ण
चमत्कारी हाइकु
व्याख्या है बड़ी|
343
हाइकुकार
शब्दों का जादूगर
रचते सार|
342
बने नौलखा
जड़ें सत्रह रत्न
हाइकुकार|
341
सिंधु मंथन
हाइकु में कथन
स्वाति की बूँद|
340
निर्बाध बहे
अल्प शब्दों में कहे
वृहद ग्रंथ|
339
सत्रहवर्णी
हाइकु निर्झरणी
हीरक कनी|
338
हाइकु कूँची
अभिव्यक्ति अम्बर
चित्र सुन्दर|
*ऋता शेखर ''मधु*